Jhajjar News: जागरूकता के अभाव में हाड़ कंपा देने वाली ठंड में खुले आसमान के नीचे सो रहे मजदूर
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Jhajjar News: जागरूकता के अभाव में हाड़ कंपा देने वाली ठंड में खुले आसमान के नीचे सो रहे मजदूर

Jhajjar News: हरियाणा के झज्जर में ठिठुरती ठंड से बचाने के लिए बेशक जिला प्रशासन ने शहर के कई स्थानों पर रैन बसेरे बनाए हैं, लेकिन जागरूकता के अभाव में रात्रि में महिला मजदूर बच्चों के साथ खुले में सो रहीं है.

Jhajjar News: जागरूकता के अभाव में हाड़ कंपा देने वाली ठंड में खुले आसमान के नीचे सो रहे मजदूर

Jhajjar News: गरीब व बेसहारा लोगों को इस ठिठुरती ठंड से बचाने के लिए बेशक जिला प्रशासन ने शहर के कई स्थानों पर रैन बसेरे बनाए हो, लेकिन झज्जर में जागरूकता के अभाव में आज भी अनेक गरीब व बेसहारा लोग खुले आसमान के नीचे सोने को मजबूर हैं. इनके साथ इनके छोटे-छोटे बच्चें भी हैं, लेकिन आसमान को छत समझकर इन लोगों ने उसे बिछोना बना लिया है और ठिठुरती व हाड़ कंपा देने वाली ठंड में यह खुले आसमान के नीचे ही सो रहे हैं.

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इस प्रकार का नजारा यहां झज्जर की अनाज मंडी व इसके साथ बनी ग्रीन बैल्ट में देखा जा सकता है. एक विशेष सर्वेक्षण के दौरान काफी तादाद में यहां महिला मजदूर अपने मासूम बच्चों के साथ जमीन को अपना बिछौना समझ कर सोते हुए मिलीं. इनका कहना था कि बाबूजी उन्हें नहीं पता कि प्रशासन ने उनके सोने का भी कहीं इंतजाम किया है. क्या करें बाबूजी गरीब का तो केवल भगवान ही सहारा है. इन्होंने यह भी कहा कि ठंड तो बहुत लगती है, लेकिन क्या करें जब काम चलाना है तो फिर चाहे खुले में सोना पड़े या बंद कमरे में सोना पड़े.

रात 10 बजे झज्जर लघु सचिवालय के बहार ग्रीन बैल्ट फुटपाथ पर राजस्थानी मजदूर सोते हुए दिखाई दिए. मजदूरों ने बताया कि दिन में दुकानों से पैसे मांग कर गुजारा करते हैं, फिर शाम के समय यही आ कर सो जाते हैं. इनसे पूछा गया कि सरकार व प्रशासन ने रैन बसेरे बनवाए हैं तो उन्होंने बताया कि हमें नहीं पता कि कहां पर हैं. हैरानी की बात तो यह सामने आई है कुछ ही दूरी पर जिला उपायुक्त कैप्टन शक्ति सिंह का कार्यालय है, जहां जिले भर के अधिकारियों व मंत्री का आवागमन लगा रहता है. इन गरीब लोगों की तरफ किसी भी अधिकारी ने ध्यान तक नहीं दिया. सब आंखे बंदकरके निकल जाते हैं. एक बाबा चार से पांच कम्बल चदर ओढ़ के बैठा हुवा दिखाई दिए.

वहीं दूसरी तरफ झज्जर अनाज मंडी में एक दर्जन से भी ज्यादा परिवार मजदूर सोते हुए नजर आए. उन्होंने कहा कि सुबह स्कूल में बुक बेचने का काम करते हैं. कुछ मांग के गुजारा कर लेते हैं. 

Input: Sumit Kumar

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