85 फीसदी मुस्लिम के साथ दुनिया का ये देश कैसे बन गया सेक्युलर
Advertisement
trendingNow12111754

85 फीसदी मुस्लिम के साथ दुनिया का ये देश कैसे बन गया सेक्युलर

Indonesia History: सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 204 मिलियन से ज्यादा इंडोनेशियाई चुनाव में मतदान करने के पात्र थे

85 फीसदी मुस्लिम के साथ दुनिया का ये देश कैसे बन गया सेक्युलर

Indonesia Presidential Election: दुनिया के चौथे सबसे बड़े देश में चुनाव हुआ है और उसके रिजल्ट की भी घोषणा होने वाली है. जी हां हम बात कर रहे हैं इंडोनेशिया की. जिसकी कुल आबादी करीब 27 करोड़ है. इसकी एक और खास बात ये है कि इतनी आबादी वाले देश में करीब 85 फीसदी आबादी मुस्लिमों की है. मतलब यह एक बड़ी मुस्लिम आबादी वाला देश है. 

इंडोनेशिया में लोकतांत्रिक व्यवस्था है. लेकिन संविधान छह धर्मों को मान्यता देता है- इस्लाम, प्रोटेस्टैंटवाद, कैथोलिक धर्म, हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म और कंफ्यूशियसवाद. 1945 में संविधान अपनाने के बाद से इंडोनेशिया एक धर्मनिरपेक्ष देश है. बहासा इंडोनेशिया की आधिकारिक भाषा है, लेकिन भारत की ही तरह यहां 700 से ज्यादा क्षेत्रीय भाषाएं हैं.

ऐसा रहा है इसका इतिहास

1512 की बात है तब पुर्तगाली इंडोनेशिया के द्वीपों पर पहली बार पहुंचे थे. . इसके बाद 17वीं सदी की शुरुआत में डच ईस्ट इंडिया कंपनी (VOC) इंडोनेशिया पहुंची. 1799 में VOC दीवालिया हो गई. उन्हें 1816 में डच सरकार के हवाले कर दिया. इंडोनेशिया पर डचों का शासन 1942 तक चला. 1942 में यहां के अधिकांश इलाकों पर जापान ने क़ब्ज़ा कर लिया. लेकिन 1945 में जापान ने विरोध के बार सरेंडर कर दिया. स्थानीय राष्ट्रवादी नेता सुकर्णो ने देश की आज़ादी की घोषणा कर दी. सुकर्णो इंडोनेशिया के पहले राष्ट्रपति बने. 1945 में संविधान अपनाने के बाद दुनिया का सबसे बड़ा मुस्लिम बहुल देश होने के बावजूद इंडोनेशिया संवैधानिक रूप से धर्मनिरपेक्ष है.

इंडोनेशिया के रक्षा मंत्री प्रबोवो सुबियांतो ने राष्ट्रपति चुनाव में जीत का दावा किया है, शुरुआती, अनौपचारिक आंकड़ों से संकेत मिलता है कि उन्होंने द्वीपसमूह के लगभग 60 फीसदी वोट हासिल कर लिए हैं. राष्ट्रपति पद के दो अन्य उम्मीदवारों ने अभी तक हार स्वीकार नहीं की है और चुनाव अधिकारियों की ओर से कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है.

कौन हैं प्रबोवो 
प्रबोवो की संभावित जीत - एक पूर्व जनरल जिसे सेना से निकाल दिया गया था और मानवाधिकारों के उल्लंघन पर अमेरिका द्वारा दो दशक के प्रतिबंध का सामना करना पड़ा था - दुनिया के तीसरे सबसे बड़े लोकतंत्र के सत्तावादी शासन में पिछड़ने की आशंका पैदा करता है. प्रबोवो, जो दिवंगत इंडोनेशियाई तानाशाह सुहार्तो के पूर्व दामाद हैं, सुरकार्ता के मेयर और वर्तमान राष्ट्रपति जोको विडोडो (जोकोवी) के सबसे बड़े बेटे जिब्रान राकाबुमिंग के साथ कंबाइंड टिकट पर चुनाव लड़े थे.

Trending news