Shah Rukh Khan: फिल्मों का पहला अवार्ड मिला तो शाहरुख नहीं गए गौरी के पास, सीधे पहुंचे यहां...
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Shah Rukh Khan: फिल्मों का पहला अवार्ड मिला तो शाहरुख नहीं गए गौरी के पास, सीधे पहुंचे यहां...

Shah Rukh Khan Awards: किसी को भी अवार्ड मिला है तो वह सबसे पहले अपने घर-परिवार के लोगों से मिलने के लिए जाता है. लेकिन शाहरुख खान ने ऐसा नहीं किया. उन्होंने स्ट्रगल के बाद मुंबई में जगह बनाई थी. जब उन्हें पहला फिल्मी अवार्ड मिला तो वह अपने घर, पत्नी गौरी के पास नहीं गए बल्कि वह पहुंचे...

 

Shah Rukh Khan: फिल्मों का पहला अवार्ड मिला तो शाहरुख नहीं गए गौरी के पास, सीधे पहुंचे यहां...

Shah Rukh Khan Films: अपने तीन दशक के फिल्मी करियर में शाहरुख खान (Shah Rukh Khan) कितने अवार्ड जीत चुके हैं, खुद उनके पास इसका कोई रिकॉर्ड नहीं होगा. लेकिन इतना जरूर है कि हर किसी की तरह उनके लिए भी पहला अवार्ड बहुत खास था. उनके पहले फिल्मी अवार्ड की कहानी हाल में निर्देशक अब्बास-मस्तान ने मीडिया में बताई है. निर्देशक जोड़ी अब्बास-मस्तान ने बताया को शाहरुख को पहला फिल्मी अवार्ड उनकी फिल्म बाजीगर (1992) के लिए मिला था खास बात यह कि फिल्म में शाहरुख ने एंटी-हीरो की भूमिका निभाई और रातोंरात स्टार बन गए थे.

सुबह साढ़े चार बजे
हाल में एक बातचीत के दौरान अब्बास-मस्तान ने खुलासा किया कि जब शाहरुख खान ने अपना पहला पुरस्कार जीता था, तब वह यह अवार्ड लेकर सबसे पहले अपनी पत्नी गौरी खान के पास नहीं गए थे. इन डायरेक्टरों ने रेडियो नशा को बताया कि शाहरुख घर लौटने के बजाय पहले उनसे आशीर्वाद लेने आए थे. अब्बास-मस्तान ने बताया किया कि वे दोनों अवार्ड शो के बाद जल्दी घर लौट आए क्योंकि यह रमजान का महीना था. लेकिन सुबह साढ़े चार बजे किसी ने उनके दरवाजे की घंटी बजाई और दरवाजा खोलने पर उन्होंने देखा कि सामने शाहरुख खान ट्रॉफी (Shah Rukh Khan Awards) के साथ खड़े हैं.

पुरस्कार के हकदार
अब्बास-मस्तान ने कहा कि उनके हाथ में ट्रॉफी थी. शाहरुख ने हमसे कहा कि जब तक मैं आपसे न मिलूं, मैं घर नहीं जा सकता. यह मेरी फिल्मों का पहला अवार्ड है. आपको गले लगाने और आपका आशीर्वाद लेने के बाद ही घर जाऊंगा. मैं अभी तक गौरी से भी नहीं मिला हूं. अब्बास मस्तान ने बताया कि रमजान के महीने के कारण आस-पास के भी बहुत सारे लोग जाग चुके थे और शाहरुख को देखने के लिए भीड़ लग गई. शाहरुख ने उनका आशीर्वाद लिया और फिर घर चले गए. अब्बास-मस्तान ने कहा कि उस समय हमें एहसास हुआ कि वह पुरस्कार के सच्चे हकदार थे. खैर, यह सब जानते हैं कि इसके बाद से शाहरुख ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और अपने काम के लिए हर साल ढेरों पुस्कार जीतते रहे.

 

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