AUKUS And China: अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम और ऑस्ट्रेलिया के सैन्य गठबंधन AUKUS में नए सदस्य की एंट्री हो सकती है. डिफेंस एक्सपर्ट AUKUS को एशियाई नाटो का स्वरूप लेते देख रहे हैं.
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AUKUS Alliance News: AUKUS में शामिल देश अब जापान से नजदीकियां बढ़ाने में लगे हैं. जापान से मिलिट्री टेक्नोलॉजी में मदद ली जाएगी लेकिन उसे ग्रुप का हिस्सा नहीं बनाया जाएगा. AUKUS देशों- अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम और ऑस्ट्रेलिया ने मंगलवार को साझा बयान जारी किया. इसमें कहा गया कि ऑकस रणनीति के दूसरे दौर में जापान को साथ लेने पर बातचीत चल रही है. कुछ विशेषज्ञ AUKUS को 'एशियाई नाटो' की शक्ल लेते देखते हैं. चीन के बढ़ते असर को काबू करने के लिए ही 2021 में AUKUS की स्थापना हुई थी. ऑकस और जापान के करीब आने से चीन बुरी तरह चिढ़ गया है. चीन ने कहा कि 'हम कुछ देशों द्वारा विशिष्ट समूहों को एकजुट करने और गुट टकराव को बढ़ावा देने का विरोध करते हैं.' जापान को धमकाते हुए चीन ने इतिहास से सबक लेने की ताकीद की. कहा कि मिलिट्री और सिक्योरिटी के मसले पर जापान थोड़ा संभलकर आगे बढ़े.
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने AUKUS के हालिया कदम की तीखी आलोचना की है. उन्होंने कहा कि US, UK और ऑस्ट्रेलिया AUKUS के विस्तार के संकेत दे रहे हैं. निंग के मुताबिक, इससे 'एशिया-पैसिफिक में हथियारों की रेस जोर पकड़ सकती है. इलाके की शांति और स्थिरता बिगड़ सकती है.'
ऑकस से जुड़़े हालिया घटनाक्रम से 'चीन बेहद चिंतित है.' चीनी विदेश मंत्रालय ने जापान को इतिहास याद दिलाने की कोशिश की. माओ निंग ने कहा, 'जापान को इतिहास से ईमानदारी से सबक लेने और सैन्य और सुरक्षा मुद्दों पर विवेकपूर्ण रहने की जरूरत है.' दूसरे विश्व युद्ध में अमेरिका के परमाणु बम गिराने के बाद जापान एक शांतिवादी देश बन गया था. अपने संविधान में जापान ने कहा कि वह कभी सैन्य बल नहीं रखेगा. करीब एक दशक बाद जापान में सेल्फ-डिफेंस फोर्स बनी. चीन और नॉर्थ कोरिया के बार-बार परेशान करने की वजह से जापान ने हाल के दिनों में डिफेंस क्षमता बढ़ाई है.
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चीन के प्रभुत्व को काबू में रखने के मकसद से 2021 में AUKUS का गठन किया गया था. ऑस्ट्रेलिया, यूनाइटेड किंगडम और अमेरिका इसके सदस्य हैं. AUKUS का पहला स्टेज 'पिलर' कहलाता है. इसके तहत ऑस्ट्रेलिया को न्यूक्लियर-पावर्ड अटैक पनडुब्बियां दी जानी हैं. दूसरे स्टेज में, अत्याधुनिक क्षमताएं हासिल करने के साथ-साथ कई क्षेत्रों में तकनीक साझा करने की योजना है. दूसरे स्टेज यानी 'पिलर II' में अन्य देशों से भी सहयोग लिया जाएगा.
AUKUS ने मंगलवार को साझा बयान में कहा, 'जापान की ताकतों और तीनों देशों के साथ मजबूत रक्षा साझेदारियों को देखते हुए, हम AUKUS के दूसरे स्टेज में जापान के साथ सहयोग पर विचार कर रहे हैं.' बयान में कहा गया कि AUKUS सदस्य लंबे समय से पिलर II में अन्य देशों को शामिल करने की मंशा जाहिर करते रहे हैं. जापान के अलावा AUKUS के संभावित सदस्यों के रूप में कनाडा, न्यूजीलैंड, भारत और साउथ कोरिया का नाम भी आया है.
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पश्चिमी देश भली भांति समझ रहे हैं कि अगर चीन मजबूत हुआ तो सबसे ज्यादा परेशानी उन्हीं को होगी. इसलिए वे लगातार चीन के प्रभुत्व को कम करने में लगे हैं. हिंद-प्रशांत में अमेरिका का सिक्का चलता है और वह चीन को घेरने में जुटा है. विभिन्न गठबंधनों और साझेदारियों के जरिए अमेरिका ने चीन को चारों तरफ से घेरना शुरू किया है. जापान अपनी तकनीकी कुशलता के लिए जाना जाता है, इसलिए AUKUS में उसकी पूछ है.
ईस्ट चाइना नॉर्मल यूनिवर्सिटी के ऑस्ट्रेलियाई अध्ययन केंद्र के निदेशक चेन होंग को लगता है कि जापान अपने शांतिवादी रुख से हट रहा है. एक्सपर्ट्स ने चेताया कि AUKUS की स्थापना और संभावित विस्तार से परमाणु प्रसार का खतरा बढ़ सकता है. इससे हथियारों की नई रेस शुरू हो सकती है और इलाके में नए विवाद जन्म ले सकते हैं.