Haryana Political Crisis: हरियाणा में निर्दलीयों ने बीजेपी के साथ कर दिया 'खेला', क्या बच पाएगी सैनी सरकार?
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Haryana Political Crisis: हरियाणा में निर्दलीयों ने बीजेपी के साथ कर दिया 'खेला', क्या बच पाएगी सैनी सरकार?

Haryana Political Crisis Update: हरियाणा में नया सियासी संकट उठ खड़ा हुआ है. तीन निर्दलीय विधायकों ने बीजेपी सरकार से समर्थन वापस ले लिया है. तीनों ने कांग्रेस को 'बाहरी' समर्थन की घोषणा की है.

Haryana Political Crisis: हरियाणा में निर्दलीयों ने बीजेपी के साथ कर दिया 'खेला', क्या बच पाएगी सैनी सरकार?

Haryana Politics News: लोकसभा चुनाव से ठीक पहले, हरियाणा की राजनीति में नया तूफान आ गया है. तीन निर्दलीय विधायकों ने सीएम नायब सिंह सैनी की बीजेपी सरकार से समर्थन वापस ले लिया. इससे बीजेपी सरकार अल्पमत में आ गई है. तीनों विधायकों ने बाद में पूर्व सीएम भूपिंदर सिंह हुड्डा से मुलाकात की. फिर कांग्रेस के लिए प्रचार करने का ऐलान किया. हुड्डा ने कहा है कि सैनी सरकार को अब इस्तीफा दे देना चाहिए. हरियाणा में इस साल के अंत तक विधानसभा चुनाव भी होने हैं. हुड्डा ने कहा कि तब तक के लिए हरियाणा में राष्ट्रपति शासन लगा देना चाहिए. हरियाणा में पिछले सियासी हंगामे को अभी दो महीने भी नहीं हुए हैं. मार्च में बीजेपी और जेजेपी के रास्ते अलग हो गए थे. हालिया घटनाक्रम के बाद, दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी (JJP) ने भी बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. हरियाणा में राजनीतिक संकट से जुड़ा अब तक का हर अपडेट नीचे पढ़‍िए.

पाला बदलने वाले तीन विधायक कौन हैं?

मंगलवार को बीजेपी सरकार से समर्थन वापस लेने वाले तीन निर्दलीय विधायक - धर्मपाल गोंधेर (नीलोखेड़ी), रणधीर गोलान (पुंडरी) और सोमबीर सांगवान (दादरी) हैं. तीनों ने रोहतक में पूर्व कांग्रेस सीएम भूपिंदर सिंह हुड्डा की मौजूदगी में में अपने फैसले का ऐलान किया. प्रेस कॉन्फ्रेंस में तीनों MLAs के साथ हुड्डा भी शामिल रहे. उन्होंने कहा, 'जनता की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए इस सरकार को इस्तीफा दे देना चाहिए. राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जाना चाहिए.'

हरियाणा विधानसभा का गणित क्या बताता है?

तीन निर्दलीयों के समर्थन वापस लेने के बाद बीजेपी की टेंशन बढ़ गई है. वैसे तो हरियाणा विधानसभा में 90 सदस्य होते हैं लेकिन अभी 88 सदस्य ही हैं. बीजेपी के दो विधायक लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए विधानसभा से इस्तीफा दे चुके हैं. पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर करनाल लोकसभा सीट से उम्मीदवार हैं. पूर्व निर्दलीय विधायक रणजीत सिंह चौटाला हिसार से BJP टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. 

हरियाणा विधानसभा में अभी बीजेपी के 40 विधायक हैं. सदन की ताकत अभी 88 विधायकों की है मतलब बहुमत का आंकड़ा 45 है. सैनी सरकार को तकनीकी रूप से 43 विधायकों का समर्थन हासिल है. पार्टी ने मंगलवार को दावा किया कि जेजेपी के चार विधायक 'सरकार को जरूरत पड़ने पर मदद' कर सकते हैं. अगर ऐसा होता है तो सदन में बीजेपी 47 के आंकड़े तक पहुंच जाएगी. कांग्रेस के 30 विधायक हैं. तीन निर्दलीयों के समर्थन के बाद उसकी ताकत 33 तक पहुंच गई है.

मार्च में, बीजेपी ने दुष्यंत चौटाला की जेजेपी से रिश्ता तोड़ लिया था. जेजेपी के 10 विधायकों की मदद से बीजेपी ने 2019 में सरकार बनाई थी. अब खबर यह है कि इन 10 में से कम से कम छह विधायकों ने चौटाला से दूरी बना रखी है.  

निर्दलीयों के अलग होने पर क्या बोले सीएम?

हरियाणा सीएम नायब सिंह सैनी ने ताजा संकट का ठीकरा कांग्रेस के सिर फोड़ा. सैनी के मुताबिक, यह सब कुछ कांग्रेस का किया-धरा है. उन्होंने कहा, 'कुछ विधायकों की कुछ महत्वाकांक्षाएं हैं. आजकल कांग्रेस (ऐसे लोगों की) इच्छाएं पूरी कर रही है. लोग यह समझते हैं. वे यह भी जानते हैं कि किसकी क्या महत्वाकांक्षाएं हैं. कांग्रेस को लोगों की जरूरतों से कोई लेना-देना नहीं है. उन्हें सिर्फ अपनी महत्वाकांक्षाओं से मतलब है.'

हरियाणा के सियासी घटनाक्रम पर किसने क्या कहा?

सीएम नायब सिंह सैनी के बयान पर हरियाणा के पूर्व उपमुख्यमंत्री और जेजेपी नेता दुष्यंत चौटाला ने कहा, 'मुख्यमंत्री (नायब सिंह सैनी) ने आज ये तो माना कि वह कमजोर हो चुके हैं. मुझे लगता है कि ऐसा सीएम, जो मानता है कि वह कमजोर है तो वह नैतिक आधार पर प्रदेश का नेतृत्व करने लायक नहीं है.'

पूर्व मुख्यमंत्री और करनाल लोकसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार मनोहर लाल खट्टर ने कहा, 'वे निर्दलीय हैं, हम क्या कर सकते हैं. ये (कांग्रेस) अपनों को संभाल कर रखें. जिस दिन हिसाब खुल गया उस दिन इनको समझ में आएगा कि हमारे संपर्क में कितने हैं...अगर अविश्वास प्रस्ताव भी लाएंगे तो वे(कांग्रेस) ही गिरेंगे. उनके और बाकी दलों के कितने लोग हमारे साथ खड़े होंगे ये उन्हें नहीं पता हमें पता है.'

हरियाणा के पूर्व गृह मंत्री अनिल विज ने कहा, 'तीन (निर्दलीय) विधायकों द्वारा कांग्रेस को समर्थन देने का दुख है. लेकिन हुड्डा साहब की ख्वाहिश कभी पूरी नहीं हो सकती. अभी हमारे तरकश में कई तीर हैं. हमारी ट्रिपल इंजन सरकार है. तीन इंजन इसकी देखभाल कर रहे हैं. नायब सिंह सैनी, मनोहर लाल खट्टर और नरेंद्र मोदी पल-पल की जानकारी रखते हैं और उसका इलाज भी जानते हैं.

बीजेपी ने क्या जुगत भिड़ाई?

सैनी के मीडिया सचिव प्रवीण अत्रेय ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि बीजेपी सरकार के पास 47 विधायकों का समर्थन है. अत्रेय के मुताबिक, 'बीजेपी को अपने 40 विधायकों के अलावा दो निर्दलीय विधायकों- नयन पाल रावत और राकेश दौलताबाद, हरियाणा लोकहित पार्टी (एचएलपी) के गोपाल कांडा और चार जेजेपी विधायकों देवेंद्र सिंह बबली, राम कुमार गौतम, जोगी राम सिहाग और राम निवास सुरजाखेड़ा का समर्थन प्राप्त है. 

सैनी सरकार पर मंडराया खतरा!

नायब सिंह सैनी ने 13 मार्च को बहुमत परीक्षण का सामना किया था. वह सदन के पटल पर बहुमत साबित कर चुके हैं. विधानसभा के दो सत्रों के बीच अधिकतम अवधि छह महीने से अधिक नहीं हो सकती. इसका मतलब है कि राज्यपाल को 13 सितंबर से पहले सदन की बैठक बुलानी होगी. हरियाणा में अक्टूबर में विधानसभा चुनाव होने हैं.

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