हमारे पुराने ग्रंथों में कहा जाता है कि 84 रत्न होते हैं. जिनमें माणिक, हीरा, नीलम, पन्ना, लाल मूंगा, मोती, पुखराज और लेहसुनिया शामिल हैं. इन्हें नवरत्न भी कहा जाता है, बाकी रत्नों को उपरत्न कहा जाता है.
आचार्य मदन मोहन के अनुसार रत्न हमें कई सारे लाभ प्रदान करते हैं. उपरत्नों में माणिक, हीरा, नीलम, पन्ना, लाल मूंगा, मोती, पुखराज और लेहसुनिया मुख्य रत्न माने गए हैं.
शास्त्रों के मुताबिक 84 रत्न होते हैं. इन 9 रत्नों के अलावा सभी उपरत्न कहलाते हैं. उपरत्न एक तरह से रत्नों के विकल्प माने जाते हैं और ये रत्नों जितने ही प्रभावशाली होते हैं, उतना ही फायदा करते हैं.
रत्न बहुत ही कीमती होते हैं, जिनका मूल्य बहुत अधिक होता है. कुछ लोग रत्न नहीं खरीद सकते, इसलिए वे उनके उपरत्न खरीदते हैं. रत्न कम मात्रा में मिलते हैं और इनकी डेंसिटी ज्यादा होती है.
उपरत्न ज्यादा मात्रा में मिलते हैं, इसलिए उनका मूल्य रत्नों से कम होता है. फिर भी दोनों से हमें बराबर फायदा मिलता है. बस यह ध्यान रखना चाहिए कि चाहे रत्न पहने या फिर उपरत्न दोनों ही शुद्ध होने चाहिए तभी हमें लाभ होगा.
आप पन्ने की जगह ओनेक्स पहन सकते हैं. ओनेक्स सस्ता होने के साथ ही इसका काफी लाभ भी होता है.
पुखराज की बजाय आप सुनैला पहन सकते हैं. हीरे की जगह आप सफेद जरकन या फिर सफेद ओपल पहन सकते हैं.
नीलम की बजाय आप नीलमणि पहन सकते हैं और लेहसुनिय के स्थान पर आप लाजवृत पहन सकते हैं. ये उपरत्न भी रत्नों से कम नहीं होते, बल्कि कई बार उनसे भी अधिक लाभकारी साबित होते हैं.