डॉ. एसएन सुनील पांडेय के अनुसार जब आसमान में धनात्मक और ऋणात्मक आवेशित बादल एक-दूसरे के पास आते हैं, तो वे टकराते हैं. इस टकराव में ऊर्जा का उत्पादन होता है और उससे ऊच्च शक्ति की बिजली (ठनका) उत्पन्न होती है.
मौसम विज्ञानी के अनुसार बादलों से गिरने वाली बिजली (ठनका) की ऊर्जा एक अरब वोल्ट तक हो सकती है. इसका तापमान सामान्य रूप से सूर्य की ऊपरी सतह से भी अधिक होता है. इसकी क्षमता 300 किलोवाट यानी 12.5 करोड़ वाट से अधिक होती है.
बंगाल की खाड़ी में बने सिस्टम की वजह से नम हवा दो से तीन किलोमीटर की ऊंचाई तक जा रही है. जब यह नम हवा ऊपर उठती है, तो उससे बादल बनते हैं और जोरदार बारिश होती है.
जहां भी ट्रफ लाइन (बादलों की शृंखला) होती है, वहां वज्रपात का खतरा होता है. हालांकि, जहां कम बादल होते हैं, वहां भी सतर्क रहने की जरूरत होती है.
बिजली के संकट से बचने के लिए खुले स्थानों से दूर जाएं और तुरंत किसी पक्के मकान की शरण ले लें. खिड़कियों, दरवाजों, बरामदों और छत से दूर रहें.
लोहे के पिलर वाले पुल के आसपास कभी नहीं जाना चाहिए. ऊंची इमारतों वाले क्षेत्रों में भी शरण नहीं लेनी चाहिए, क्योंकि वहां वज्रपात का खतरा अधिक होता है.
अगर आपके पास गाड़ी या किसी और वाहन में बैठे हैं, तो वहीं रहें. बाइक से दूर रहें क्योंकि उसमें पैर जमीन पर रहते हैं. विद्युत संचालित उपकरणों से दूर रहें और अगर आप घर में हैं तो बंद हो रहे टीवी, फ्रिज जैसे उपकरणों को बंद करें.
जब बारिश हो, तो खुले में या बालकनी पर मोबाइल पर बात न करें. अगर आप तालाब, जलाशय या स्विमिंग पूल के पास हैं तो उनसे दूरी बनाएं.
अगर आप खेत या जंगल में हैं, तो घने और बौने पेड़ों की शरण में चलें. लेकिन यह ध्यान रखें कि पैरों के नीचे प्लास्टिक बोरी, लकड़ी या सूखे पत्ते रखें. समूह में नहीं खड़े हों, बल्कि दूर-दूर खड़े हों.