Operation Abbottabad: बिन लादेन के अंतिम पलों के वो राज जो बराक ओबामा की किताब से खुले
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Operation Abbottabad: बिन लादेन के अंतिम पलों के वो राज जो बराक ओबामा की किताब से खुले

Osama bin Laden Killing: आज दो मई है. ये वही तारीख है. जब दहशत का पर्याय बने सबसे बड़े खूंखार आतंकवादी ओसामा बिन लादेन को अमेरिकी फौज ने पाकिस्‍तान में घुसकर ढेर किया था. आइए आपको बताते हैं 13 साल पहले चलाए गए उस 'ऑपेशन एबटाबाद' की वो कहानी जिसे पढ़कर दुनिया ने राहत की सांस ली थी.

Operation Abbottabad: बिन लादेन के अंतिम पलों के वो राज जो बराक ओबामा की किताब से खुले

Killing of Osama bin Laden: अमेरिकी स्पेशल फौज ने 2 मई, 2011 को खूंखार आतंकवादी ओसामा बिन लादेन को पाकिस्तान के एबटाबाद में मार गिराया था. इस ऑपरेशन को अंजाम देने के दौरान भले ही गोपनीयता बरती गई हो, लेकिन अमेरिका ने खुल्लम खुल्ला ऐसे किसी मिलिट्री एक्शन का ऐलान कर दिया था. हालांकि तब किसी ने सोचा भी नहीं था कि अमेरिका कुछ ऐसा करेगा कि पूरी दुनिया में पाकिस्तान की थू-थू हो जाएगी. आज उस ऑपरेशन की बरसी पर सुनाते हैं लादेन के खात्मे की पूरी कहानी.

पाकिस्तान में 8 फरवरी को होने वाले आम चुनाव से पहले पूर्व प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी ने जियो न्यूज को दिए एक इंटरव्यू में खुलासा किया था कि 2011 में अल-कायदा सुप्रीमो के खात्मे से काफी पहले अमेरिका ने उन्हें ओसामा बिन लादेन की पाकिस्तान में मौजूदगी के बारे में सबूतों के साथ पुख्ता जानकारी दी थी.

गिलानी ने ये भी बताया कि उसी दौरान तत्कालीन अमेरिकी विदेश मंत्री कोंडोलीज़ा राइस ने पाकिस्तान का दौरा किया था क्योंकि अमेरिकी खुफिया एजेंसियों को पुख्ता इनपुट मिल चुका था कि बिन लादेन पाकिस्तान में छिपा है.

गिलानी के मुताबिक मुंबई में हुए आतंकी हमलों के फौरन बाद, दिसंबर 2008 के पहले सप्ताह में राइस अचानक इस्लामाबाद पहुंची थीं. तब गिलानी ने लादेन के पाकिस्तान में छिपे होने को दुनियाभर की खुफिया एजेंसियों की नाकामी बताते हुए इसे दुस्प्रचार बताया था.

13 साल पहले का वो दिन जब ढेर हुआ था मानवता का दुश्मन

गिलानी और राइस के बयानों से इतर आइए आपको लादेन के खात्मे की कहानी यानी 'ऑपरेशन एबटाबाद' की इनसाइड स्क्रिप्ट बताते हैं कि ऐसे ही अमेरिका को दुनिया का दारोगा नहीं कहा जाता. अपने हितों को बचाने और अपनी कसम पूरा करने के लिए अमेरिका ने लादेन को अपनी स्टाइल में मार गिराया. 13 साल पहले 2 मई की तारीख को ओसामा बिन लादेन को मारने की स्क्रिप्ट कैसे लिखी गई और कैसे मात्र 9 मिनट में ऑपरेशन पूरा किया गया वो जानकर आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे.

लादेन के खात्मे की अनसुनी कहानी

अमेरिकी एजेंट लादेन का पता लगाने में दुनिया का कोना कोना स्कैन कर रहे थे. अचानक साउथ एशिया को खंगालते समय दरअसल अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA को पाकिस्तान में एक बंगले का पता लगा, जहां कई चीजें बाकी घरों से काफी अलग थीं. पाकिस्तान में फौजी छावनी के नजदीक यानी एबटाबाद स्थित इस घर में खिड़कियां तो थीं, लेकिन हमेशा बंद रहतीं. इस घर के चारों तरफ ऊंची दीवारें मकान को ऐसे घेरे हुए थीं. मानो किसी जेल की बैरक हो. इससे भी अमेरिकी जासूसों को शक गहराया. सीआईए के एजेंटों को एक बात और खटक रही थी कि जिस मकान में कभी कोई दिखाई न देता हो आखिर वहां पर जरूरत से ज्यादा कपड़े सूखने के लिए कौन फैलाता था?

तत्कालीन राष्ट्रपति की आत्मकथा में खुलासा

पूर्व यूएस प्रेसिडेंट बराक ओबामा की बॉयोग्राफी ' ए प्रॉमिस्ड लैंड' में लादेन के खात्मे की पूरी स्क्रिप्ट को बताया गया है. किताब में लिखे तथ्यों के मुताबिक साल 2009 में ओबामा ने व्हाइट हाउस के चीफ ऑफ स्टाफ और CIA के चीफ और अमेरिकी सुरक्षा सलाहकार से मुलाकात की. उन्होंने इस मीटिंग में कहा कि हर महीने रिपोर्ट चाहिए कि लादेन को ढूंढने और उसके खात्मे के लिए हमने क्या किया?

आगे जब अमेरिका जासूसों ने अपने सर्च ऑपरेशन को तेज किया तो उन्हे 'अबू अहमद अल-कुवैती' के बारे में पता चला, जो आतंकी संगठन अल-कायदा के लिए मैसेंजर का काम करता था. वो लादेन का करीबी था. उसकी 24*7 ट्रैकिंग हुई. इस तरह वो पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद से 135 किलोमीटर दूर एबटाबाद के बाहरी इलाके में बने उस बड़े अहाते तक पहुंचे जहां के एक घर की गतिविधियां काफी समय से संदिग्ध थीं.

इस कथित घर का मालिक गरीब था. वो इस बड़ी प्रॉपर्टी में रहने लायक नहीं दिखता था. मालिक होने के बावजूद वो घर के मेन हिस्से के बजाए अहाते के अंदर बने सर्वेंट हाउस और कथित गेस्ट हाउस में रहता था. इस तीन मंजिला इमारत में ऊपर की एक मंजिल में बालकनी थी, लेकिन ये बालकनी दीवार से कवर थी. एजेंटों को ये बात भी खटकी. वहां एक कचरा वाली गाड़ी रोज आती थी. लेकन वहां से कोई कूड़ा बाहर नहीं जाता था. बल्कि कूड़ा जलाने का धुंआ अक्सर बाहर दिखाई देता था.

Operation Neptune Spear: ऑपरेशन नेप्च्यून स्पीयर 

इस ऑपरेशन को यूनाइटेड स्टेट्स नेवल स्पेशल वारफेयर ग्रुप से संबद्ध यूनाइटेड स्टेट्स नेवी सील्स की यूनिट ने खुफिया एजेंटो के साथ अंजाम दिया था. इस टीम ने ऑपरेशन नेप्च्यून स्पीयर चलाने से पहले उस अहाते का बारीकी से अध्यन किया. क्योंकि उस बिल्डिंग की संरचना भी संदिग्ध थी. मानों उस बिल्डिंग को किसी खास मिशन के लिए बनाया गया हो. उस घर की बालकनी के सामने दीवार थी उस घर में कोई भी इलेक्ट्रानिक डिवाइस नहीं था. वहां इंटरनेट, लैंडलाइन और सैटेलाइट फोन कुछ भी नहीं था. 

CIA ने ओबामा को बतया कि एबटाबाद की इस बिल्डिंग में दीवार के पीछे बनी संदिग्ध बालकनी में एक लंबा चौड़ा शख्स तेज-तेज कदमों से चहलकदमी करता है. CIA ने इस संदिग्ध शख्स को 'द पेसर' नाम दिया था. 

आगे ओसामा बिन लादेन के खात्मे की आखिरी स्क्रिप्ट ओबामा को बताई जाती है. जिसके मुताबिक फिर 2 मई 2011 की रात के 11 बजे दो ब्लैक हॉक हेलिकॉप्टर अफगानिस्तान के जलालाबाद से पाकिस्तान के एबटाबाद के लिए उड़ान भरते हैं. इस चॉपर में यूएस नेवी सील के 23 कमांडो और एक ट्रांसलेटर भी था.

31 मिनट बाद कमांडो उस बिल्डिंग के नजदीक के एक खेत में उतरकर चोरी छिपे अंदर दाखिल होते हैं. इन सील कमांडोज ने बिना कोई शोर किए बस 9 मिनट के अंदर ओसामा को ढूंढकर उसके सिर पर नजदीक से गोली मारकर उसका खात्‍मा कर दिया. इसके बाद अमेरिका में संदेश गया- 'एनमी किल्ड इन एक्शन'. तब ओबामा समेत वार रूम में मौजूद सभी लोगों ने राहत की सांस ली. 'ऑपरेशन एबटाबाद' में 40 मिनट काफी अहम थे. इन कमांडो को वापस लौटने में तीन घंटे से ज्यादा समय लग गया था.

कौन था लादेन?

ओसामा बिन लादेन सऊदी में जन्मा ओसामा मानवता का दुश्मन और एक आतंकवादी था. जो 1988 से 2011 में अपनी मौत तक आतंकी संगठन अल-कायदा का संस्थापक और अमीर रहा. अलकायदा को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, नाटो, यूरोपियन यूनियन समेत कई देशों ने आतंकी संगठन घोषित किया था. उसने अमेरिका में 9/11 हमलों को अंजाम देकर दुनिया को हिला दिया था.

अ प्रॉमिस्ड लैंड' में ओबामा ने आखिर में ये भी लिखा कि उन्होंने इस पूरे ऑपरेशन को लाइव देखा. नेवी सील कमांडो के हेलमेट में हाईटेक कैमरे लगे थे. इसके बाद अमेरिकी सैनिक लादेन के शव को घसीटते हुए नीचे लाए और फिर शव को बड़े थैले में पैक कर ले गए. उसके बाद लोहे की जंजीरों में बांधकर समुद्र में फेंक दिया. ऐसा इसलिए क्योंकि सऊदी अरब ने लादेन का शव लेने से इनकार कर दिया था. दूसरा अगर उसकी कब्र बनाई जाती तो आतंकवादी उसे महिमामंडित कर सकते थे. ऐसे में उसकी लाश समंदर में फेंक दी गई. यानी गहरे समुद्र में उसकी कब्र बना दी.

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