‌'कंगाल' पाकिस्तान को मिला 'धोखेबाज दोस्त'! जिसको पाला उसी ने लिया डस, अब तड़प-तड़प लगा रहा आरोप
Advertisement
trendingNow12240784

‌'कंगाल' पाकिस्तान को मिला 'धोखेबाज दोस्त'! जिसको पाला उसी ने लिया डस, अब तड़प-तड़प लगा रहा आरोप

Pakistan Relations With Taliban: जो देश खुद अपनी धरती पर आतंकियों को पनाह देता रहा हो, अब वही देश आतंक से इतना परेशान है कि खुलेआम अपने ही 'दोस्त' पर आरोप लगा रहा है. पिछले दिनों पाकिस्तानी सुरक्षा बलों पर कई आतंकी हमले हुए और इसमें पाक सेना के कई अफसर और सैनिक मारे गए. जानें किस 'दोस्त' ने पाकिस्तान को डस लिया. 

‌'कंगाल' पाकिस्तान को मिला 'धोखेबाज दोस्त'! जिसको पाला उसी ने लिया डस, अब तड़प-तड़प लगा रहा आरोप

Pakistan-Afghanistan: पाकिस्तान जबसे बना दूसरों देशों के लिए परेशानी और सकंट ही बना रहा, हर देश पाकिस्तान से त्रस्त है. जिनसे उसके रिश्ते ठीक थे, उनसे भी रिश्ते इतने खराब हो गए हैं. आए दिन उसके देश में धमाके होते रहते हैं और महंगाई और राजनीतिक संकट तो पूरी दुनिया में जगजाहिर है.  ताजा मामला उसके करीबी पड़ोसी देश अफगानिस्तान का है. अफगानिस्तान में इन दिनों तालिबान की सत्ता है. कभी बेहद करीबी रहे तालिबान और पाकिस्तान सरकार आज एक दूसरे को फूटी आंख नहीं सुहा रहे हैं. यह तनाव 2021 में काबुल में तालिबान की सत्ता आने के बाद से शुरू हुआ. जानकार इसकी वजह पाकिस्तान में बढ़ते आतंकवाद को मान रहे हैं. जिस पार पाकिस्तान ने खूब आरोप लगाए हैं. 

पाकिस्तान का तालिबान पर आरोप
पाकिस्तान ने सोचा था कि अफगानिस्तान में तालिबान की सत्ता आने के बाद वह शासन इस्लामाबाद से चलेगा लेकिन हुआ उल्टा. तालिबान ने पाकिस्तान को इतना दर्द दिया है कि अब वह कराह रहा है, तभी तो अफगानिस्तान और पाकिस्तान की सुरक्षा स्थिति का जिक्र करते हुए पाकिस्तान के डीजी आईएसपीआर को अफगान तालिबान के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ एक आरोप पत्र जारी करना पड़ा. इसमें दावा किया गया कि देश में 90 प्रतिशत से अधिक आतंकवादी हमलों को अफगानिस्तान द्वारा बढ़ावा दिया जाता है. 

पाकिस्तान से तालिबान के रिश्ते
साल 2021 में जब तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा जमाया था, जिससे वह बेहद खुश नजर आया था. कब्जा करने के लगभग दो हफ्ते बाद ही पाकिस्तान की जासूसी एजेंसी के तत्कालीन प्रमुख काबुल के सबसे आलीशान होटलों में से एक में पहुंचे थे. उन्होंने मुस्कुराकर चाय की चुस्की लेते हुए और तालिबानियों की सत्ता में वापसी पर राहत की सांस ली थी और खुशी जाहिर की थी.

पाकिस्तान का दांव पड़ा उल्टा
इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस के लेफ्टिनेंट-जनरल फैज हमीद उम्मीद लगाए बैठे थे कि जिस तरह से वह तालिबानियों का समर्थन कर रहे हैं उसी तरह बदले में उन्हें फायदा पहुंचेगा क्योंकि तालिबान पाकिस्तान में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) पर लगाम लगाने में मदद करेगा. हालांकि उनका ये दांव उल्टा पड़ गया है. लगभग तीन साल बाद तालिबान और पाकिस्तान के बीच संबंधों में खटास आ गई है.

तालिबान के कुछ नेता पाकिस्तान के कट्टर विरोधी
तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान की ओर से आतंकवादी हमलों लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही है. वहीं, तालिबान के कुछ नेता पाकिस्तान के कट्टर विरोधी है, जबकि वे भारत के साथ संबंध अच्छे रखने की कोशिश में हमेशा रहते हैं. पाकिस्तान के सामने बड़ा संकट क्योंकि वह इस समय न केवल आर्थिक आर्थिक अस्थिरता बल्कि राजनीतिक संकटों से गंभीर घायल है, जिसका फिलहाल कोई उपचार नहीं दिखाई दे रहा है. देश डिफॉल्ट होने के करीब पहुंच गया है. महंगाई इतनी बढ़ गई है कि जनता परेशान है. 

तालिबान पाकिस्तान से नाराज
चीन के इंजीनियरों पर हमले को लेकर तालिबान और पाकिस्‍तान में जुबानी जंग तेज हो गई है. पाकिस्‍तानी सेना के प्रवक्‍ता ने आरोप लगाया है कि बम हमले में चीनी इंजीनियरों की हत्‍या की साजिश को अफगानिस्‍तान में रचा गया था. इस हमले में चीन के 5 इंजीनियरों की मौत हो गई थी. पाकिस्‍तानी सेना के इस आरोप पर अब तालिबान के रक्षा मंत्रालय ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. अफगानिस्‍तान के लोगों के शामिल होने के आरोप पर तालिबान ने पाकिस्‍तानी सेना के दावे को खारिज कर दिया है. तालिबान ने कहा कि पाकिस्‍तानी सेना यह आरोप लगाकर ध्‍यान भटकाने की कोशिश कर रही है. 

चीनी लोगों की मौत
मार्च में पाकिस्‍तान के खैबर पख्‍तूनख्‍वा प्रांत में आत्‍मघाती बम हमला हुआ था जिसमें 5 चीनी इंजीनियर मारे गए थे. तालिबानी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्‍ता मुफ्ती इनायतुल्‍ला खोराजमीम ने कहा, 'इस तरह के मामले में अफगान शामिल नहीं हैं.' उन्‍होंने कहा, 'इस तरह की घटनाओं के लिए अफगानिस्‍तान पर आरोप लगाना सत्‍य से ध्‍यान भटकाने की नाकाम कोशिश है. हम इसे कड़ाई से खारिज करते हैं.

बता इतनी बिगड़ी है कि 3 लाख अफगानों को बाहर निकाला
पाकिस्‍तान का कहना है कि तालिबान टीटीपी आतंकियों के खिलाफ ऐक्‍शन नहीं ले रहा है जो अफगानिस्‍तान में पनाह लिए हुए हैं.  यही नहीं मार्च महीने में पाकिस्‍तानी वायुसेना ने अफगानिस्‍तान के अंदर हवाई हमले किए थे. पाकिस्‍तान ने 3 लाख 70 हजार अफगानों को देश से बाहर जाने के लिए कहा है जो वहां दशकों से शरण लिए हुए थे. पाकिस्‍तान ने कहा कि देश में ज्‍यादातर हमले अफगान नागरिक करते हैं. इस आरोप को तालिबानी सरकार खारिज करती है.

तालिबान और पाकिस्तान के रिश्तों में दरार क्यों आई?
पाकिस्तान और अफगानिस्तान दोनों देशों के बीच बीच सांस्कृतिक संबंध रहे हैं, लेकिन 1893 में अंग्रेजों द्वारा खींची गई 2,640 किलोमीटर लंबी सीमा रेखा डूरंड लाइन को लेकर लंबे समय से विवाद रहा है. इस रेखा ने पश्तून कबायली जमीन को विभाजित कर दिया. इससे पश्तूनों के लिए अलग देश "पश्तूनिस्तान" की भावना ने जन्म लिया जिसमें सीमा के दोनों ओर के पश्तून क्षेत्र शामिल हों. हालांकि यह देश कभी नहीं बन सका, लेकिन इस पर विवाद आज भी जारी है.

पहले पाकिस्तान ने की मदद
दूसरी ओर, 1979 में अफगानिस्तान पर सोवियत हमले के बाद पाकिस्तान ने सीमापार मुस्लिम चरमपंथियों के साथ अपनी दोस्ती बढ़ा ली. डायचे वेले की एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबि इस्लामाबाद में स्थित अफगान इतिहास शोधकर्ता उबैदुल्ला खिलजी कहते हैं, "सोवियत प्रभाव से निपटने के लिए पश्चिमी देशों ने पाकिस्तान को इस्तेमाल किया और उसके जरिए उन अफगान मुजाहिद्दीन को हर तरह की मदद पहुंचाई, जो सोवियत हमले का मुकाबला कर रहे थे.”

सोवियत वापसी के बाद, अफगानिस्तान गृहयुद्ध में उलझ गया, जिससे एक नए इस्लामी कट्टरपंथी गुट तालिबान का जन्म हुआ. पाकिस्तान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात ने 1996 में अफगानिस्तान के तालिबान शासन को मान्यता दी, और उन्हें महत्वपूर्ण सैन्य सहायता और संसाधन दिए.

तालिबान का हुआ राज हुआ समाप्त
11 सितंबर 2001 के आतंकवादी हमलों के बाद अमेरिका और उसके सहयोगियों ने अफगानिस्तान पर हमला किया और इसके बाद 2001 के अंत में अफगानिस्तान में तालिबान शासन का खात्मा हो गया. हालांकि, उस समय तालिबान के कुछ सदस्यों को पाकिस्तान के अंदर, खासकर सीमा के पास के इलाके में शरण मिल गई. पाकिस्तान ने 9/11 के बाद अमेरिका का साथ दिया. 

2021 में सत्ता में आया 
साल 2021 में तालिबान की काबुल में वापसी हुई तो पाकिस्तान बहुत खुश हुआ था. पाकिस्तान ने सोचा था कि तालिबान के आने के बाद अब अफगानिस्तान का शासन इस्लामाबाद से चलेगा लेकिन हुआ उल्टा. पाकिस्तान के साथ तालिबान के रिश्ते लगातार खराब होते चले गए. क्विंसी इंस्टीट्यूट के मध्य पूर्व विभाग के उप निदेशक एडम वाइनस्टीन के अनुसार, तालिबान अब पाकिस्तान पर निर्भर नहीं है, तालिबान अब "खुद को पाकिस्तान के अधीन देखने या उसकी मांगों को पूरा करने के लिए बाध्य नहीं मान रहा है.

तालिबान अब खुद के भरोसे
तालिबान नेता पाकिस्तान की पिछली मदद को स्वीकार करते हैं लेकिन वे यह भी बताते हैं कि कैसे पाकिस्तान ने तालिबान नेताओं का उत्पीड़न किया, उनकी गिरफ्तारियां कीं और उन्हें अमेरिका को सौंपा. तालिबान और टीटीपी के बीच की वैचारिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक समानताएं भी तालिबान प्रशासन को एक जटिल समस्या में डाल देते हैं.

तालिबान अधिकारी ने कहा, "पाकिस्तान की मांग के अनुसार, टीटीपी पर कार्रवाई करने से खुद तालिबान के भीतर ही समस्या खड़ी हो सकती है. इस वजह से लोग, पहले से ही तालिबान से लड़ रहे चरमपंथी समूह इस्लामिक स्टेट में जा सकते हैं."

तालिबान बना रहा दोस्त
एक तरफ पाकिस्तान के साथ रिश्ते ठंडे पड़ रहे हैं, वहीं तालिबान प्रशासन नई साझेदारियां बना रहा है.पश्चिमी देश झिझक रहे हैं, लेकिन चीन, रूस, ईरान, भारत और कुछ मध्य एशियाई देश बेहद सावधानी के साथ तालिबान से संबंध बढ़ा रहे हैं. पोलिटैक्ट फेलो सुलेहरिया बताते हैं कि तालिबान प्रशासन अपने प्रचुर खनिज संसाधनों को इस्तेमाल कर चीन के विदेशी निवेश के जरिए अच्छा-खासा पैसा कमा रहा है.

पाकिस्तान आतंकी हमलों से परेशान
इस्लामाबाद के सेंटर फॉर रिसर्च एंड सिक्योरिटी स्टडीज की एक रिपोर्ट के अनुसार 2022 की तुलना में 2023 में आतंकवादी हमलों से होने वाली मौतों में 56 फीसदी का इजाफा हुआ है, जिसमें 500 से ज्यादा सुरक्षाकर्मियों के साथ-साथ 1,500 से अधिक लोग मारे गए हैं.

पाकिस्तान छोड़ रही चीन कंपनी
पाकिस्तान में चीन के श्रमिकों पर हुए हालिया घातक हमले ने उनके आत्मविश्वास को झकझोर कर रख दिया है. अब कई चीनी नागरिक सुरक्षा कारणों से पाकिस्तान छोड़ रहे हैं या छोड़ने की योजना बना रहे हैं. एक सुरक्षा विश्लेषक ने यह बात कही है. ‘डॉन’ समाचार पत्र में प्रकाशित एक लेख में मुहम्मद आमिर राणा ने लिखा कि चीनी इंजीनियरों के वाहन पर हुए आतंकवादी हमले में पांच चीनी नागरिकों के मारे जाने के परिणामस्वरूप चीन की कंपनियों ने कम से कम तीन महत्वपूर्ण पनबिजली परियोजनाओं डासू बांध, डायमर-बाशा बांध और तरबेला एक्सटेंशन पर काम रोक दिया गया. 

अब समझे कौन है ये टीटीपी, जिन्होंने पाक के नाम में किया दम
तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान, जिसे TTP भी कहा जाता है वो पाकिस्तान में अपनी ही सरकार के खिलाफ लड़ने वाला सबसे बड़ा आतंकवादी संगठन है. पाकिस्तान में आतंकी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) ने तबाही मचाकर रख दी है. साथ ही इस आतंकी संगठन ने पूरे पाकिस्तान को अपने आगे टेकने के लिए हर कोशिश में लगा हुआ है. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा पर टीटीपी के कई हजार लड़ाकें मौजूद हैं, जो पाकिस्तान की सरकार के खिलाफ 'युद्ध' छेड़े हुए हैं. 

Trending news