धरती के बेहद करीब से गुजर गया कार के साइज का एस्टेरॉयड, दो दिन पहले ही वैज्ञानिकों ने खोजा था
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धरती के बेहद करीब से गुजर गया कार के साइज का एस्टेरॉयड, दो दिन पहले ही वैज्ञानिकों ने खोजा था

Asteroid 2024 JN16: कार के साइज जितना एक एस्टेरॉयड मंगलवार को पृथ्वी के बेहद नजदीक से गुजर गया. दो दिन पहले ही वैज्ञानिकों ने इसकी खोज की थी.

धरती के बेहद करीब से गुजर गया कार के साइज का एस्टेरॉयड, दो दिन पहले ही वैज्ञानिकों ने खोजा था

Asteroid Near Earth: एस्ट्रोनॉमर्स ने दो दिन पहले जिस एस्टेरॉयड की खोज की थी, वह मंगलवार को धरती के बेहद पास से गुजरा. कार जितने साइज वाला यह एस्टेरॉयड पृथ्वी की सतह से महज 18,500 किलोमीटर दूर था. The Virtual Telescope Project के अनुसार, एस्टेरॉयड 2024 JN16 मंगलवार (14 मई) की सुबह हमारे ग्रह से टकराते-टकराते बचा. इस एस्टेरॉयड का साइज लगभग एक कार के बराबर था. वैज्ञानिकों ने एस्टेरॉयड की चौड़ाई 15 फीट (4 मीटर) बताई है. दो दिन पहले, शौकिया एस्ट्रोनॉमर गेन्नेडी बोरिसोव ने क्रीमिया की MARGO ऑब्जर्वेटरी की मदद से 2024 JN16 को खोजा था. अंतरिक्ष में घूम रही यह चट्टान अपोलो एस्टेरॉयड ग्रुप का हिस्सा है जिसकी कक्षा पृथ्वी की कक्षा से मिलती है. 2013 में रूस के शहर चेल्याबिंस्क में गिरने वाला उल्का इसी अपोलो एस्टेरॉयड ग्रुप का हिस्सा था. करीब छह मंजिला इमारत जितना बड़े उस उल्का की टक्कर से परमाणु धमाके से कहीं ज्यादा बड़ा धमाका हुआ था. 

चांद की कक्षा के भीतर पहुंचा एस्टेरॉयड

अंतरिक्ष में घूमने वाले इन पिंडों की कक्षा ऐसी होती है कि वे दूसरे ग्रहों या एस्टेरायॅड्स से कभी भी टकरा सकते हैं. एस्ट्रोनॉमर्स के मुताबिक, इस तरह के एस्टेरॉयड हमारे सौरमंडल में एक करोड़ साल तक बचे रह सकते हैं. जब एस्टेरॉयड 2024 JN16 पृथ्वी के करीब आया, तो चंद्रमा की कक्षा के भीतर था और पृथ्वी से जियोस्टेशनरी सैटेलाइट्स की तुलना में आधा दूर था. जियोस्टेशनरी सैटेलाइट्स के ये गोले 22,236 मील (35,785 किमी) की ऊंचाई पर घूमते हैं. चूंकि यह एस्टेरॉयड धरती के इतने करीब से गुजरा इसलिए उसकी रोशनी भी खासी चमकदार रही. इसी वजह से यह टेलीस्कोप की पकड़ में आ गया.

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धरती के बेहद करीब से गुजरा Asteroid 2024 JN16 (क्रेडिट: The Virtual Telescope Project 2.0)

अब यह एस्टेरॉयड पृथ्वी से 186,400 मील (300,000 किलोमीटर) से ज्यादा दूर है. यह सर्पेंस तारामंडल में स्थित है. इसे केवल लॉन्ग एक्सपोजर फोटोग्राफी के जरिए ही देखा जा सकता है. खगोलविदों ने अभी तक 40 से ज्यादा ऐसे एस्टेरॉयड पाए हैं जिनका रास्ता चंद्रमा की कक्षा की तुलना में पृथ्वी के ज्यादा करीब है.

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