Earth Magnetic Field: कोर के ठंडा होने से पहले ही जाग उठा था पृथ्‍वी का चुंबक! नई रिसर्च से खुला रहस्य
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Earth Magnetic Field: कोर के ठंडा होने से पहले ही जाग उठा था पृथ्‍वी का चुंबक! नई रिसर्च से खुला रहस्य

Earth's Core And Magnetic Field: नई रिसर्च से पता चला है कि पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र जीवन की उत्पत्ति के समय भी मौजूद था. वैज्ञानिकों के अनुसार, धरती का कोर उसके बाद ठोस बना.

Earth Magnetic Field: कोर के ठंडा होने से पहले ही जाग उठा था पृथ्‍वी का चुंबक! नई रिसर्च से खुला रहस्य

Magnetic Field Of Earth: पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र 3.7 बिलियन साल पहले भी आज जितना ही ताकतवर था. नई स्टडी से इस बात के संकेत मिले हैं. वैज्ञानिकों के अनुसार, जिस समय धरती पर जीवन की उत्पत्ति हो रही थी, चुंबकीय क्षेत्र मौजूद था. पृथ्‍वी पर मिले सबसे पुराने जीवाश्‍म- स्ट्रोमेटोलाइट्स - 3.5 बिलियन साल पुराने हैं. कुछ वैज्ञानिक मानते हैं कि स्ट्रोमेटोलाइट करीब 3.7 बिलियन साल पुराने हैं. नई रिसर्च बताती है कि उस समय भी पृथ्‍वी एक चुंबकीय बबल के घेरे में थी. इस चुंबकीय बबल ने ही धरती को कॉस्मिक रेडिएशन और सूर्य के घातक कणों से बचाया. नई रिसर्च ने पृथ्‍वी के कोर से जुड़ी हमारी समझ को भी बेहतर किया है. आज मैग्नेटिक फील्ड, कोर के लिक्विड पार्ट के  मंथन और ठोस आंतरिक कोर से बाहरी कॉन्वेक्टिव कोर में गर्मी के ट्रांसफर से चलती है. वैज्ञानिकों को लगता है कि यह कोर करीब एक अरब साल पहले तक ठोस नहीं हुई थी. इसका मतलब यह है कि कोर के ठोस बनने से काफी पहले से चुंबकीय क्षेत्र मौजूद है. वैज्ञानिकों की ताजा रिसर्च के नतीजे 24 अप्रैल को Journal of Geophysical Research में छपे हैं.

चुंबकीय क्षेत्र से जीवन की खोज का कनेक्शन!

वैज्ञानिकों के मुताबिक, सूर्य से उठे आवेशित कणों फ्लो उस समय काफी तेज था. स्टडी की लीड ऑथर, क्लेयर निकोल्स ने बताया कि इतनी तेज 'सौर हवाएं' ग्रह की रक्षा करने वाले मैग्नेटोस्फीयर को उड़ा ले जातीं. निकोल्स के मुताबिक, 'जब हम दूसरे ग्रहों पर जीवन की तलाश कर रहे होते हैं, तो एक चुंबकीय क्षेत्र का होना जरूरी नहीं है. क्योंकि छोटा मैग्नेटोस्फीयर होने के बावजूद, ऐसा लगता है कि जीवन विकसित हो गया.

हर ग्रह पर मैग्नेटोस्फीयर नहीं होता. रिसर्चर्स को यह भी नहीं पता कि पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र कैसे बना. अभी तो कोर के तरल हिस्से के मंथन और ठोस इनर कोर से बाहरी कोर में हीट ट्रांसफर की वजह से मैग्नेटिक फील्ड काम करती है. लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि कोर तो लगभग एक बिलियन साल पहले तक ठोस नहीं हुई थी.

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धरती की मैग्नेटिक फील्ड के पीछे कौन सी ताकत?

निकोल्स और उनकी टीम ने ग्रीनलैंड में बर्फीली तह के किनारे पर रिसर्च की. यहां की चट्टानें पृथ्वी के क्रस्ट के सबसे पुरानी हिस्सों में से एक हैं. इनमें धरती की मैग्नेटिक फील्ड की ताकत और दिशा से जुड़ी जानकारियां समाहित हैं. रिसर्चर्स ने पाया कि 3.7 बिलियन साल पहले, मैग्नेटिक फील्ड की ताकत कम से कम 15 माइक्रोटेस्ला थी. आज मैग्नेटिक फील्ड की ताकत का लगभग आधा. लेकिन निकोल्स के मुताबिक यह संभव है कि उस समय भी मैग्नेटिक फील्ड आज जितनी ताकतवर रही हो. उन्होंने कहा, 'जो भी मैग्नेटिक फील्ड को चला रहा है, वह कोर के ठोस होने से पहले भी उतना ही ताकतवर था.'

रिसर्चर्स अब प्राचीन चुंबकीय क्षेत्र और पृथ्वी के वातावरण का कनेक्शन समझना चाहते हैं. करीब ढाई बिलियन साल पहले, अचानक वातावरण का ऑक्सीजेनेशन हुआ. कुछ हद तक इसके पीछे फोटोसिंथेसिस था लेकिन निकोल्स के अनुसार, मैग्नेटिक फील्ड की ताकत भी वजह हो सकती है. कौन सी गैस वातावरण में रुकती है और कौन अंतरिक्ष में चली जाती है, यह मैग्नेटिक फील्ड की ताकत पर निर्भर हो सकता है.

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